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कभी कभी लगता है..चलता फिरता लाश हूं.. रोबोट की तर

कभी कभी लगता है..चलता फिरता लाश हूं.. 
रोबोट की तरह हर काम सम्पन्न करता हूं,
किसी से कोई आस लगाए बिना..
जब सोता हूं तो लगता है...कोमा में हूं..
सब कुछ सुनता हूं, देखता हूं, महसूस करता हूं..
न सोया हूं न जागता हूं न ख्वाबों के दुनियां में हूं 
ना कुछ कहती हूं न कुछ रिप्लाई करती हूं..
न बंधन में  हूं न आज़ाद हूं_कभी कभी सोचता हूं.. 
क्या आत्मा की जन्म मृत्यु हम देख सकते है?
क्या मन की मृत्यु के बाद किसी में दोबारा जन्म लेता है?
यह भी सोचता हूं.. न जाने क्या क्या सोचता रहता हूं..🤔

©इतना ही कहना था
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