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ख़्वाहिश दिल की कुछ ऐसी है हर याद हो चुकी धुँधली है

ख़्वाहिश दिल की कुछ ऐसी है
हर याद हो चुकी धुँधली है
तुम लौट के फिर आ जाओ न
यादें ताज़ा कर जाओ न

कब तक छुपे रहोगे बादल में
ढल चुकी रात के आँचल में
अब तो ये पर्दा हटाओ न
ऐ चाँद तुम निकल आओ न

न गुमसुम हूँ न ही उदास हूँ मैं
बस एक अधूरा एहसास हूँ मैं
किसी राह पर फिर मिल जाओ न
तुम ही हमसफ़र बन जाओ न।
#iAmShubh ♥️ Challenge-569 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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ख़्वाहिश दिल की कुछ ऐसी है
हर याद हो चुकी धुँधली है
तुम लौट के फिर आ जाओ न
यादें ताज़ा कर जाओ न

कब तक छुपे रहोगे बादल में
ढल चुकी रात के आँचल में
अब तो ये पर्दा हटाओ न
ऐ चाँद तुम निकल आओ न

न गुमसुम हूँ न ही उदास हूँ मैं
बस एक अधूरा एहसास हूँ मैं
किसी राह पर फिर मिल जाओ न
तुम ही हमसफ़र बन जाओ न।
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