#ग़ज़ल_غزل: २२५ --------------------------- 1212-1122-1212-22/112 किसी को ख़ार किसी को गुलाब देता है ख़ुदा किए का सभी को हिसाब देता है //१ क़ुसूर तेरे दुखों में नहीं है ख़ालिक़ का किसी को उसका अमल ही अज़ाब देता है //४ ख़ुदा ख़मोश है कहता तो कुछ नहीं लेकिन समय पे सबको मुनासिब जवाब देता है //२ जो उसके इश्क़ में डूबा है सर से पाँव तलक उसे वो ख़ुल्द की उम्दा शराब देता है //३ तेरे ही नूर से हैं क़ल्ब दरख़्शाँ सब के हसीन चेहरों को तू ही शबाब देता है //५ जज़ा है मब्नी अमल पे, तभी यहाँ नाज़िम किसी को ख़ामा, किसी को किताब देता है //६ ऐ 'राज़' नामे ख़ुदा ज़ुल्म सह ले अपनों के बुरा है वक़्त अभी, क्यों जवाब देता है //७ #राज़_नवादवी© #Krishna