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जोबन डलतो जाय कर ल्यां मनड़ा री बात, शरीर कमजोर प

जोबन डलतो जाय
कर ल्यां मनड़ा री बात,

शरीर कमजोर पड़ जावलो
नहीं देवल्या कोई साथ।

बचपन बित्यो जाय,
ना ल्यो किसी री हाय।

आजा मीठी बातां कर लेवां
पता नहीं कब छुट जावे प्राण,

जवानी सदा नहीं रवे
जिद्द करणगी  छोड़ दे बाण।

जीवड़ा हंस बोल बतलाय ले
जोबन बित्यो जाय,
मनड़ा बातां ल्यां बतलाय।

एक दिन बेटो देगो दुत्कार,
साथिड़ा दोन्यूं करल्यां प्यार।

जोबन डलतो जाय
कर ल्यां मनड़ा री बात,

सुख-दुख गी ल्यां बतलाय,
बादमैं रवां लख पछताय।

घमंड सारो झड़ जावलो
पड़्यो खाट म्यं पछतावलो
नहीं रवेली वो बात।

दिलड़ा सांची रहयों बताय,
ज़वानी ढल जावगी आगे बुढापो सताय।

मनड़ा बिती बातां ना पाछी आय,
फिर कवगो परमात्मा मनैं ले उठाय।

जिवड़ा बार-बार रहयो हूं समझाय,
अपणों जीवन हंस बोल ले बतलाय।

जोबन डलतो जाय
करल्यां मनड़ा री बात।।

©Shishpal Chauhan
  # मनडां री बात

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