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सच्ची है फिर कड़वी लागे हमारे

      सच्ची है फिर कड़वी लागे   
  
        हमारे शरीर की आत्मा को 20-11-2013 
    जिस रूप में हम त्याग कर गये थे उन्हें।
        आज वही बन्धन और रूप का अहंकार से।
        हमको  पहचान ना पाये हे मेरे दोस्त हमै ।
         आपको त्याग कर गुनाह नहीं किया जो हुआ ।
         राजा परिक्षित वचन से हुआ वहीं पल हमारे ।
          साथ भी हो सकता था हमारा अब क्या करें ।
        हमें तो आपको अपनाना चाहा आपको  ।
         ना पहचाना तो इस पर हमारी क्या खफा हैं ।

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  #WinterSunset  Sanjana Sudha Tripathi Lovelesh डॉ मनोज सिंह,बोकारो स्टील सिटी,झारखंड। (कवि,संपादक,अंकशास्त्री,हस्तरेखा विशेषज्ञ 7004349313) राधे किशोरी पाराशर