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डॉ मनोज सिंह,बोकारो स्टील सिटी,झारखंड। (कवि,संपादक,अंकशास्त्री,हस्तरेखा विशेषज्ञ 7004349313)

ख़ुद की तलाश में मुब्तला हूं...... youtube-https://youtube.com/@poetrypoetry2967

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डॉ मनोज सिंह,बोकारो स्टील सिटी,झारखंड। (कवि,संपादक,अंकशास्त्री,हस्तरेखा विशेषज्ञ 7004349313)

#लगी है आग सीने में...

#लगी है आग सीने में... #शायरी

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डॉ मनोज सिंह,बोकारो स्टील सिटी,झारखंड। (कवि,संपादक,अंकशास्त्री,हस्तरेखा विशेषज्ञ 7004349313)

White धीरे -धीरे 
वो सब खो रहा हूं
जो मिला भी नहीं  था...

©डॉ मनोज सिंह,बोकारो स्टील सिटी,झारखंड। (कवि,संपादक,अंकशास्त्री,हस्तरेखा विशेषज्ञ 7004349313)
  #sawan_2024
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डॉ मनोज सिंह,बोकारो स्टील सिटी,झारखंड। (कवि,संपादक,अंकशास्त्री,हस्तरेखा विशेषज्ञ 7004349313)

White जाने   कैसा   रस्ता   होगा?
मंज़िल तक जो जाता होगा।।
सूरज को छत पे रख आया,
तेरे  घर  से , आता  होगा।।

©डॉ मनोज सिंह,बोकारो स्टील सिटी,झारखंड। (कवि,संपादक,अंकशास्त्री,हस्तरेखा विशेषज्ञ 7004349313)
  #Sad_shayri
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डॉ मनोज सिंह,बोकारो स्टील सिटी,झारखंड। (कवि,संपादक,अंकशास्त्री,हस्तरेखा विशेषज्ञ 7004349313)

White कब  आंखे  लेकर  उतरा था?
सच कागज़ पे ही बिखरा था।।
         
          तुम आते तो मिल ही जाता,
          वो  रस्ता - रस्ता ,ठहरा था।।

                  सर हंसते - हंसते दे देता ,                     
                           बस तेरा ही तो चहरा था।।                           

                  तुम आंखो से ही कह देते,      
                   ये माना दिल पे पहरा था।।

©डॉ मनोज सिंह,बोकारो स्टील सिटी,झारखंड। (कवि,संपादक,अंकशास्त्री,हस्तरेखा विशेषज्ञ 7004349313)
  #sad_dp
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डॉ मनोज सिंह,बोकारो स्टील सिटी,झारखंड। (कवि,संपादक,अंकशास्त्री,हस्तरेखा विशेषज्ञ 7004349313)

White मैं शब्दों का दोपहर,तुम अर्थों की शाम।
मैं दीप ,तुम रोशनी,तुम मीरा,मैं श्याम।।

©डॉ मनोज सिंह,बोकारो स्टील सिटी,झारखंड। (कवि,संपादक,अंकशास्त्री,हस्तरेखा विशेषज्ञ 7004349313)
  #love_shayari
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डॉ मनोज सिंह,बोकारो स्टील सिटी,झारखंड। (कवि,संपादक,अंकशास्त्री,हस्तरेखा विशेषज्ञ 7004349313)

White ख़ुद  को  ख़ुद  तक  ला  पाते  तो अच्छा था।
जाते -  जाते   आ   जाते   तो   अच्छा   था।।

सुन  लेंगे , सोने  - चांदी  के  गीतों  को ,
ये  वामो - दर  भी  गाते  तो अच्छा था।।

दूरी  दिल की कब तक  बढ़ती  जाएगी?
अच्छे  हों ,रिश्ते - नाते  तो  अच्छा था।।

 किस्मत, कुत्ते - बिल्ली की भी  अच्छी है,
भर थाली  हम भी खाते तो अच्छा था।।

तूफ़ानों - बारिश , मिट्टी  का  घर  मेरा ,
होते  सर  पे  जो  छाते  तो अच्छा था।।

भूखा - प्यासा  हूं ,कह देना आंखों को ,
आंसू,  होटों  तक आते तो अच्छा था।।

जीने    की   बंदिश,  मरना  भी  मुश्किल  है,
ख़त, कातिल को लिख पाते तो  अच्छा  था।

©डॉ मनोज सिंह,बोकारो स्टील सिटी,झारखंड। (कवि,संपादक,अंकशास्त्री,हस्तरेखा विशेषज्ञ 7004349313)
  #sad_quotes
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डॉ मनोज सिंह,बोकारो स्टील सिटी,झारखंड। (कवि,संपादक,अंकशास्त्री,हस्तरेखा विशेषज्ञ 7004349313)

सच  से  वास्ता ,रखना तो था।
ख़ुद तक रास्ता रखना तो था।।
किस्मत ,बैरी  बन  बैठी  थी ,,,,,
कोई  शास्ता  रखना  तो  था।।

©डॉ मनोज सिंह,बोकारो स्टील सिटी,झारखंड। (कवि,संपादक,अंकशास्त्री,हस्तरेखा विशेषज्ञ 7004349313)
  #किस्मत
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डॉ मनोज सिंह,बोकारो स्टील सिटी,झारखंड। (कवि,संपादक,अंकशास्त्री,हस्तरेखा विशेषज्ञ 7004349313)

White बस, हंसने की लाचारी थी।
बच्चों  की जिम्मेदारी थी।।
थे   रिश्ते  - नाते, शीशे से,,,
पत्थर - सी,दुनियादारी थी।।

©डॉ मनोज सिंह,बोकारो स्टील सिटी,झारखंड। (कवि,संपादक,अंकशास्त्री,हस्तरेखा विशेषज्ञ 7004349313)
  #लाचारी
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डॉ मनोज सिंह,बोकारो स्टील सिटी,झारखंड। (कवि,संपादक,अंकशास्त्री,हस्तरेखा विशेषज्ञ 7004349313)

कहीं  धूप गहरी ,कहीं छांव ओझल!
शहर आ गया तो हुआ गांव ओझल।।

©डॉ मनोज सिंह,बोकारो स्टील सिटी,झारखंड। (कवि,संपादक,अंकशास्त्री,हस्तरेखा विशेषज्ञ 7004349313)
  #गांव
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डॉ मनोज सिंह,बोकारो स्टील सिटी,झारखंड। (कवि,संपादक,अंकशास्त्री,हस्तरेखा विशेषज्ञ 7004349313)

White आंखों में थी चुप्पी गहरी,,,

चहरा - चहरा शोर बहुत था।।

 दरिया  -साहिल,प्यासा,पागल,,

बूंदों में भी चोर बहुत था।।

©डॉ मनोज सिंह,बोकारो स्टील सिटी,झारखंड। (कवि,संपादक,अंकशास्त्री,हस्तरेखा विशेषज्ञ 7004349313)
  #sad_shayari
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