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बहुत महफूज रखी हैं इंशानियां उसकी, शायद उस शख्स क

 बहुत महफूज रखी हैं इंशानियां उसकी,
शायद उस शख्स को है अब खो दिया।
भुलाए से भी भूला नही जाता,
जो रुह को है ज़ख्म मिला ।
मेरे हाथों की लकीरों में ,
अब गुमशुदा है नाम उसका ।
माना तड़प बेइंतिहा है ,
मगर जिक्र नही है अब इसका।

रश्मि वत्स।

©Rashmi Vats
  #lonely #lonelyness