अल्फाज़ है मगर बयां नहीं कर सकता बैठ कहीं दूर वो भी पढ़ रही होगी मुझे लफ्ज़ मेरे मैं अदा कर नहीं सकता मोहब्बत मुकद्दस हैं मेरी कितनी दफ़ा जताऊ क्यों देखकर तुम्हें पता नहीं चलता । POOJAJAY #उसे पता नहीं चलता#