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मैं ज्योति का अधिकारी हूं , राष्ट्र विरोधियों पर भ

मैं ज्योति का अधिकारी हूं ,
राष्ट्र विरोधियों पर भारी हूं ,
मैं भारतीय नारी हूं।
अंधेरा  मन  में  उजाला  भर  जाती  हूं ,
सनातन संस्कृति का सच समझाती हूं 
गीत   वतन  का    गाती   हूं।
घर - घर जाकर हिन्दुत्व का,
अलख जगाती हूं ,
कमल फूल है निसान हमारा ,
सबको बतलाती हूं।
गौरवमय है भारत का इतिहास ,
सच   कि   विगुल   बजाती    हूं।
मैं कर रही 2024 कि तैयारी हूं ,
मैं ज्योति अधिकारी हूं,
राष्ट्र विरोधियों पर भारी हूं।
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प्रमोद मालाकार की कलम से

©pramod malakar
  मैं ज्योति का अधिकारी हूं

मैं ज्योति का अधिकारी हूं #कविता

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