रात के अन्धेरे में हमे वो दहसत गरदो से डराना चाहत है शाहीन बाग को जलीय वाला बाग बनान चाहता है वो हम RSS वाले नहीं जो डर जाये गे माफी मांगे गे ओर निकल जाये गे नाजी हुकुमत ना बची तो तू क्या है तेरी सरकार को एक ही बार मे निगल जायें गे रात के अन्धेरे में हमे वो दहसत गरदो से डराना चाहत है शाहीन बाग को जलीय वाला बाग बनान चाहता है वो हम RSS वाले नहीं जो डर जाये गे माफी मांगे गे ओर निकल जाये गे नाजी हुकुमत ना बची तो तू क्या है