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जब से दिल का घाव, गहरा लग रहा है। तब से कातिल वक़्त

जब से दिल का घाव, गहरा लग रहा है।
तब से कातिल वक़्त, ठहरा लग रहा है।
छोड़कर दिल तोड़कर , जब  से गए वो,
हँसता सा घर अपना,सहरा लग रहा है।
…… सतीश मापतपुरी

©Satish Mapatpuri सहरा
जब से दिल का घाव, गहरा लग रहा है।
तब से कातिल वक़्त, ठहरा लग रहा है।
छोड़कर दिल तोड़कर , जब  से गए वो,
हँसता सा घर अपना,सहरा लग रहा है।
…… सतीश मापतपुरी

©Satish Mapatpuri सहरा

सहरा