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satishmapatpuri7821
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Satish Mapatpuri

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Satish Mapatpuri

सुबह उठें योगा करें , बिल्कुल खाली पेट।
नित्य  इसे करते  रहें , सेहत  रखें समेट।
सेहत जैसा  धन नहीं , तन सा ना  जागीर।
कुदरत ने सबको दिया,इक अनमोल शरीर। 
   ….. सतीश मापतपुरी

©Satish Mapatpuri
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Satish Mapatpuri

8 मई 2022 को सुयांशु काव्य धारा पर ऑन लाइन कवि सम्मेलन

8 मई 2022 को सुयांशु काव्य धारा पर ऑन लाइन कवि सम्मेलन #कविता

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Satish Mapatpuri

पानी  की  इक बूँद को ,  बच्चे हैं बेहाल।
मानव ने ही कर दिया , धरती का ये हाल।
धरती का ये हाल , नहीं दिखती हरियाली।
उड़ती रहती रेत, धरा अब  दिखती काली।
जगा नहीं इंसान,समझ लो खतम कहानी।
नहीं   रहेंगे   पेड़ ,   नहीं   बरसेगा  पानी।
…… सतीश मापतपुरी

©Satish Mapatpuri
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Satish Mapatpuri

आदमी

आदमी #कविता

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Satish Mapatpuri

रात तम की पहन चुनरी आ गई ।
आँख को ये बावरी ही भा गई ।

दिन में’ भी क्या कुछ नहीं होता यहाँ,
देख जिसको रात भी शरमा गई।

रेंग कर अब फर्श पर है चल रही,
ज़िंदगी से मौत भी घबरा गई।

कैसे’ कैसे लोग अब सिरमौर हैं ,
भार से अब कुरसी’ भी थर्रा गई ।

डोलती है आजकल धरती बहुत ,
पाप से शायद धरा चकरा गई ।
     …. सतीश मापतपुरी

©Satish Mapatpuri #merimaa
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Satish Mapatpuri

हर ख़बर अख़बार की सुर्खी नहीं तो क्या हुआ।
हो  रहा है  जो  मेरी  मर्जी  नहीं  तो क्या हुआ।


और  भी  आयेंगी  रुत  मायूस  यूँ  मत  होइए ,
आखिरी मौसम नहीं , अबके नहीं तो क्या हुआ।


हम नहीं कोई और - कोई और या कोई और हो,
आप तो खुश हैं सनम हम ही नहीं तो क्या हुआ।


एक  बरगद  आज भी  यूँ ही  खड़ा है गाँव में,
अब कोई आराम ही करता नहीं तो क्या हुआ।


फूल  गमले में  खिलाकर  क्या करेंगे मान्यवर,
रुत बसंती आके भी रुकती नहीं तो क्या हुआ।
...... सतीश मापतपुरी

©Satish Mapatpuri अख़बार

#SunSet

अख़बार #SunSet #शायरी

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Satish Mapatpuri

सूर्यान्शु काव्य धारा पर 19 अप्रैल 22 को ऑन लाइन कवि सम्मेलन का एक अंश

सूर्यान्शु काव्य धारा पर 19 अप्रैल 22 को ऑन लाइन कवि सम्मेलन का एक अंश #कविता

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Satish Mapatpuri

हतभागी  इंसान वह,  छोड़े  माँ  की  बाँह।
इस दुनिया में स्वर्ग है,बस ममता की छाँह।
. सतीश मापतपुरी

©Satish Mapatpuri माँ

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Satish Mapatpuri

दोहावली
चौथापन  में  केश  जब, होने लगे सफेद।
दशरथ निःसंतान क्यों,प्रभु यह कैसा भेद।

गुरु वशिष्ठ की राय से,यत्न किए फिर भूप।
श्रृंगी  ऋषि के  यज्ञ से,  बालक हुए अनूप।

ग्रहण किया परसाद को,तीनों रानी साथ।
मात कोख में आ बसे,भाई सँग  रघुनाथ।

चैत्र मास नवमी तिथी,पक्ष अंजोर पुनीत।
सब बालक पलने लगे,जैसी रघुकुल रीत।

सीता के सँग व्याह कर,निपटाये हर काम।
रावण  के आतंक से, मुक्त्त  किये श्रीराम।
….. सतीश मापतपुरी
राम नवमी की हार्दिक शुभकामनाएं

©Satish Mapatpuri जय श्रीराम

#Love

जय श्रीराम Love #कविता

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Satish Mapatpuri

नववर्ष की शुभकामनाएं

©Satish Mapatpuri
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