मैं नही चाहता एक और दिल गुनाह करे और फिर जमाना मोहब्बत पर सलाह करे ज़िंदा आशिक़ को हर ज़ानिब से पत्थर बरसे मर जाए तो हर ज़ुबां वाह-वाह करे अभी वक़्त है तजुर्बों को इज्जत देने की सोचे विचारे और इस गलती का इस्लाह करे सवार ना हो किसी इश्क़ की नाव पर दिल बैठ जाए तो उसकी नैया पार अल्लाह करे ©क्षत्रियंकेश इस्लाह!