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हर वेदना को चेतना में अब बदलना चाहिए राह में भटका

हर वेदना को चेतना में अब बदलना चाहिए
राह में भटका कदम तो अब संभलना चाहिए

वीर को तो तीर का हर घाव भी कोमल लगे 
पर सामने हो ब्रह्मास्त्र तो संभलना चाहिए।।

जालिमों के जोर का , हथियार भी अब कुंद हो
ज़हरीले हर नाग का अब फन कुचलना चाहिए।।

हर कली कोमल बड़ी है , जिंदगी के बाग में 
दिल रवि तेरे को जाना अब मचलना चाहिए ।।

।। रवि ।।

©Ravi Sharma
  हर वेदना को चेतना में अब बदलना चाहिए
राह में भटका कदम तो अब संभलना चाहिए

वीर को तो तीर का हर घाव भी कोमल लगे 
पर सामने हो ब्रह्मास्त्र तो संभलना चाहिए।।

जालिमों के जोर का , हथियार भी अब कुंद हो
ज़हरीले हर नाग का अब फन कुचलना चाहिए।।
ravisharma5699

Ravi Sharma

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हर वेदना को चेतना में अब बदलना चाहिए राह में भटका कदम तो अब संभलना चाहिए वीर को तो तीर का हर घाव भी कोमल लगे पर सामने हो ब्रह्मास्त्र तो संभलना चाहिए।। जालिमों के जोर का , हथियार भी अब कुंद हो ज़हरीले हर नाग का अब फन कुचलना चाहिए।। #शायरी

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