उम्र के इस पड़ाव पर, थोड़ा तो ठहर जिन्दगी, थक चुकी होगी, सुस्ता लें आ दो पहर जिन्दगी ! जख्म हैं जिन ख्वाबों पर, उनकी मरहम कर लें, शब गुजर चुकी, होनी है अब तो सहर जिन्दगी ! कुछ ख्याल उनका भी, सफर में जो छूट गए, दे ना उनको झूठे यकीं का तो जहर जिन्दगी ! हर तरफ, हर घड़ी, दौड़ना तो है सबका जुनूं, जाने कब कौन कहां जाए यूं तो ठहर जिन्दगी ! एक ‘अहसास‘ है तेरे मुकाबिल उठाने को गम, ढाए जा रही सब पर अब क्यों कहर जिन्दगी ! - विमल ‘अहसास‘ Pratibha Tiwari(smile)🙂 Soumya Jain