तू नूर-ए-जन्नत है मेरी, तू ही जान-ए-बहार है, तुम्हारा जिस्म-ओ-जान बसंत और रूह सदाबहार है। तुझे देखकर हृदय की कुम्हलाती कलियाँ भी खिल जाए, तू रश्क-ए-क़मर है, तू ही उपमा है, तू ही अलंकार है। Challenge-156 #collabwithकोराकाग़ज़ 4 पंक्तियों में अपनी रचना लिखिए :) (रश्क-ए-क़मर का अर्थ है चाँद की ईर्ष्या (Envy of the Moon) सीधे शब्दों में अर्थ - ख़ूबसूरती ऐसी कि चाँद को भी जलन होने लगे) #रश्क_ए_क़मर #कोराकाग़ज़ #yqdidi #yqbaba #YourQuoteAndMine Collaborating with कोरा काग़ज़ ™️