तमाशा जिंदगी का जो, कहां वो तमाशबीन है ? तमाशाई फिर आप है, सामयीन,नाजरीन है। खड़ा पल-पल हो तमाशा, बढ़े मंजर बेतहाशा, मिटे फिर पलक झपकते ही, कहां तक,कबतक हसीन है। बुरा है, कहना बुरा भी, नजर ले खुद से चुरा भी, इसी को तो जिये हो जहीं, वरना क्या कि तू जहीन है ! ©BANDHETIYA OFFICIAL तमाशा,तमाशाई, तमाशबीन ! #VantinesDay