की ना छेड़ ईश्क को इतना भी,के साज बन जाए वो कही त

की
 ना छेड़ ईश्क को इतना भी,के साज बन जाए वो
कही तुम्हारे सीने में दफन  हो के,राज बन जाए वो
अपने लबों को ना रोक उसका नाम लेने से
कही ऐसा ना हों के सिर्फ ,एहसास बन जाए वो
By..... शायर गुमनाम.....

©Ajay kumar jabdoliya
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