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जाने किस क़लम से लिखी हुई, तकदीर हूँ मैं। न कवि हू

जाने किस क़लम से लिखी हुई, तकदीर हूँ मैं।
न कवि हूँ बड़ा, न शायर कोई, फ़कीर हूँ मैं।।

      ----प्रभजीत सिंह 'परम'
जाने किस क़लम से लिखी हुई, तकदीर हूँ मैं।
न कवि हूँ बड़ा, न शायर कोई, फ़कीर हूँ मैं।।

      ----प्रभजीत सिंह 'परम'