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क़यामत ढाती है ये ज़ुल्फ़े तुम्हारी ꫰ गुज़रती है जब व

क़यामत ढाती है ये ज़ुल्फ़े तुम्हारी ꫰
गुज़रती है जब वो आँखों से तुम्हारी ꫰꫰

बिंदी को समझती हैं वो प्रतोयोगी तुम्हारी ꫰
नहीं रखती वो काजल से भी यारी ꫰꫰

करती हैं शिखवा मुस्कान से तुम्हारी ꫰
नहीं मानती वो अब बातें तुम्हारी ꫰꫰

झमूको को छूती हैं इजाज़त से तुम्हारी ꫰
मगर करना चाहती हैं वो बस अपनी ही मनमानी ꫰꫰

अगर कह दो तुम तो हो जाए हवा कि भी बैरी ꫰
क्यूंकि क़यामत ढाती है ये ज़ुल्फ़े तुम्हारी ꫰꫰

©JaYesh GuLati ज़ुल्फ़े तुम्हारी ꫰❤
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क़यामत ढाती है ये ज़ुल्फ़े तुम्हारी ꫰
गुज़रती है जब वो आँखों से तुम्हारी ꫰꫰

बिंदी को समझती हैं वो प्रतोयोगी तुम्हारी ꫰
नहीं रखती वो काजल से भी यारी ꫰꫰

करती हैं शिखवा मुस्कान से तुम्हारी ꫰
नहीं मानती वो अब बातें तुम्हारी ꫰꫰

झमूको को छूती हैं इजाज़त से तुम्हारी ꫰
मगर करना चाहती हैं वो बस अपनी ही मनमानी ꫰꫰

अगर कह दो तुम तो हो जाए हवा कि भी बैरी ꫰
क्यूंकि क़यामत ढाती है ये ज़ुल्फ़े तुम्हारी ꫰꫰

©JaYesh GuLati ज़ुल्फ़े तुम्हारी ꫰❤
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