मोहब्बत से ज्यादा नफ़रत हो गयी है तुमसे, फिर क्यों तेरे कूचे पर तेरा इंतज़ार होता है। तेरे चेहरे पर नक़ाब नज़र आने लगे हैं मुझे, फिर ऐसा क्यों कि जिस दिन ना देखूं तुझे, मेरा दिन बेकार होता है। तेरा बदलता रंग देखकर मन नहीं करता अब मिलने का, मैं अंधेरों में जाकर भी तुझे ही देख पाता हूँ, आख़िर मेरे साथ क्यों ये बार-बार होता है। नहीं कर पा रहा हूँ मोहब्बत किसी और से, आख़िर क्यों रह-रहकर भी केवल तुझसे ही प्यार होता है। #love आख़िर क्यों....? #life #poetry #you