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नज़रे ढूंढती फिरती है गर्मी में, अगर कहीं हो विशाल

नज़रे ढूंढती फिरती है गर्मी में,
अगर कहीं हो विशाल पेड़ की छांव...
जो बुलाता पास निकट बिठाता
देता ठंडी ठंडी छांव ....
लेकिन हम मानव प्रकृति का दुश्मन 
काट रहें उजाड़ रहे खत्म कर रहें पेड़ों की महत्ता
पेड़ों की जमीन पर सजा रहें 
बस कंक्रीट की ऊंची दीवारें 
फलस्वरूप तापमान धरती का बढ़ रहा
गर्मी उफ गर्मी , दिन पर दिन आग बरस रहा 
झुलस रहा गर्मी से तन बदन
गांव-मोहल्ला कूंचा-कूंचा....
गरमी कोयले के खान में
जैसे लगा दिया किसी ने आग ....
हरियाली मिटती जा रहीं 
पानी मिटती जा रहीं 
जीवन घुट रहीं दीवारों के घेरों में 
आत्मा मर गयी तन हंगामा मचा रहा है 
भौतिक सुख में प्रकृति खो रहें हैं
आओ पेड़ पैधे बचाये और लगाएं 
जिससे हो खेती हरी भरी
जिससे हो धरती  हरी भरी
जिससे कमी न हो ऑक्सीजन की
जिससे हो हमारी आने वाली पीढ़ी हरी भरी......
#निशीथ

©Nisheeth pandey
  #WorldEnvironmentDay
 नज़रे ढूंढती फिरती है गर्मी में,
अगर कहीं हो विशाल पेड़ की छांव...
जो बुलाता पास निकट बिठाता
देता ठंडी ठंडी छांव ....
लेकिन हम मानव प्रकृति का दुश्मन 
काट रहें उजाड़ रहे खत्म कर रहें पेड़ों की महत्ता
पेड़ों की जमीन पर सजा रहें

#WorldEnvironmentDay नज़रे ढूंढती फिरती है गर्मी में, अगर कहीं हो विशाल पेड़ की छांव... जो बुलाता पास निकट बिठाता देता ठंडी ठंडी छांव .... लेकिन हम मानव प्रकृति का दुश्मन काट रहें उजाड़ रहे खत्म कर रहें पेड़ों की महत्ता पेड़ों की जमीन पर सजा रहें #lovequotes #Remember #adventure #कविता #Sitaare #Likho #walkalone #Streaks #निशीथ #Tuaurmain

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