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अक्सर बहुत कठिन होता है, वो लिखना, वो कहना। जो सच

अक्सर बहुत कठिन होता है,
वो लिखना, वो कहना।
जो सच ही में सच होता है,
वो पढ़ना, वो सुनना।

लोग अधिकतर ही होते हैं,
कुंठित और संक्रामक।
उनके मन की बात न हो तो, 
हो जाते आक्रामक।

चलते फिरते कहीं सुना जो,
वही मानते सब कुछ।
और वही सुनना भी चाहें,
उससे अधिक नही कुछ।

ऐसे कट्टर, जड़, मतान्ध को,
बस निहारते रहिये।
रोज - रोज कूँची के माफिक,
बस बुहारते रहिये।
                                                       ................कौशल तिवारी

©Kaushal Kumar #सच का अपच
अक्सर बहुत कठिन होता है,
वो लिखना, वो कहना।
जो सच ही में सच होता है,
वो पढ़ना, वो सुनना।

लोग अधिकतर ही होते हैं,
कुंठित और संक्रामक।
उनके मन की बात न हो तो, 
हो जाते आक्रामक।

चलते फिरते कहीं सुना जो,
वही मानते सब कुछ।
और वही सुनना भी चाहें,
उससे अधिक नही कुछ।

ऐसे कट्टर, जड़, मतान्ध को,
बस निहारते रहिये।
रोज - रोज कूँची के माफिक,
बस बुहारते रहिये।
                                                       ................कौशल तिवारी

©Kaushal Kumar #सच का अपच

#सच का अपच #कविता