अचानक ही तो सब कुछ घटित हुआ था मेरी कमीज का बटन टूटना और , सुई धागा लेकर तुम्हारा गूंथना , बहुत नजदीक थे , तुम शायद दिल के करीब थे! अपलक सा निहारता अनिद्य सौंदर्य कोमल सी अंगुलियों का छुकर निकल जाना , बस वैसे ही जैसे तप्त सूर्य की किरणों के बीच मंद शीतल बयार का गुजर जाना ! धीरे धीरे जब तुम दिल मे उतरती हो , मै महसूस कर लेता हूँ जब एक अहसास बनकर गुजरती हो ! तुम नही तो क्या मैने अपने पास तुम्हारा दिल रखा है , बस वही बटन छू लेता हूँ जिसे तुमने प्रेम के धागे से सिल रखा है ! ©संजय श्रीवास्तव #Starss