आ रहा हूं मैं.........................!! आकाश के सीने को चीरते हुए, तुफानी हवाओं से भिड़ते हुए। हवाई जहाज की गड़गड़ाहट, धरती पर मेरे आने कि आहट, बदस्तूर जारी है मेरी सुगबुगाहट। सूरज की लालिमा को समेटते हुए, दूरी को अपने बांहों में लपेटते हुए, काले बादलों को चीरते हुए, आ रहा हूं मैं..........................!! मैं मालाकार कवि और कलाकार हूं, अपने अनमोल तन को छोड़कर, घूमता पुरा संसार हूं.................!! &&&&&&&&&&&&&&&&&& प्रमोद मालाकार....12.01.24 ©pramod malakar #आ रहा हूं मैं.....