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शाम को जिन कदमों का घर में इंतजार था उन्हें मयखाने

शाम को जिन कदमों का घर में इंतजार था
उन्हें मयखाने ले जाती है उनकी तलब
क़समें खाते है रोज वक्त पर लौट आने की,
लेकिन भूल ही जाते हैं वे सबब

©Kamlesh Kandpal
  #Tlb