कहते है आत्मा अमर होती है।पर अमर होना और अतृप्त होने के बीच में काफी फर्क है।वैसे तो मनुष्य मात्र लालच।और सबसे ज्यादा लालच होता है जिंदगी के।कोई कोई अपने जिंदगी के परेशानी से परेशान होकर कुछ वक्त मौत आसान है सोचते ,पर उसके पास जाने की कल्पना ही भयंकर है।इसमें कितनी सच्चाई है पता नहीं पर जो बेमौत मरते है,वक्त से पहले उनके शाया भटकता रहता है।पर समय से एक सेकंड पहले भी ना कोई आ सकता ना जा सकता।फिर भी आत्मा की शरीर से या शरीर का आत्मा से लगाव होता है।आत्मा अपना शरीर छोड़ कर जाने के बारे में सोचने से क्या उसको तखलीप होती है?
उस जगह में पहले से कई मौत हो चुकी है।कुछ हादसा और कुछ खुदकुशी।कंचनसीमा नाम से मशहूर एक पिकनिक स्पॉट।सहर से काफी दूर प्रकृति के सौंदरयानुभूति अद्भुत है।कहते है जो पानी में डूबकर मरते उनके रूह ऐसे ही पानी में डूबती रहती है।वो सहारा ढूंढते रहते।किसी को भी देख बचाव के गुहार लगाते और उनका इस बेहम का शिकार होते मासूम।
श्रीकांत, जॉन और राहत तीनों दोस्त नहीं मानो तीन मिशाल है। तीनों अलग धर्म,अलग परिवार और अलग विचार धारा के होने के बावजूद भाई से ज्यादा थे।
श्रीकांत शर्मा एक लौता बेटा है। उस दिन पापा उसे अपना और एक नया दुकान बुला रहे थे पूजा के लिए।पर वो कैसे मना कर सकता है जिगरी दोस्त दोनों को।कोई एक का ना होना मतलब प्लान कैंसल।पापा को दुकान पहुंच जाएगा बोल चला गया और ममी भी बुलाती रह गई।
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