तारीफ़ सबको अच्छी लगती है लेकिन तारीफ करते चाटुकार नही। सुना है चाटुकारिता के पीछे मतलब की गंगा बहती है। फिर भी चाटुकारिता के संग भागते लोग। काबिलियत की पूछ नही, मक्खन का ज़माना है। तेल, डालडा, घी की क्वालिटी से प्रमोशन पाना है। उगता सूरज डूबता है, ये भूल अंहकार में रह जाना है। चाटुकारिता की प्रकाष्ठा की होड़ में दौड़ लगाना है। #चाटुकार