काश मैं फिर से एक बच्चा होता! सभी मुस्कान और आँशु फरेबी होती, सिर्फ दिल सच्चा होता!! काश मैं फिर से बच्चा होता! इस नफरती ज़िन्दगी के उसूलों से कच्चा होता! बस एक जीने की तमन्ना ही सच्चा होता!! काश मैं फिर से बच्चा होता! ना फिक्र होती कल की, ना ज़िक्र होता कल का! बस उस झुनझुने से ही दिल खुश रहता, काश मैं फिर से बच्चा होता! #मुसाफ़िर की कलम!!