प्रेम का करना तिरस्कार,ये दुनिया का दस्तूर रहे। अब न सोचो क्या सोचेगा,सोच के ही हम दूर रहे। कैसी वो भी इज्जत है,जिसमें कोई जज्बात नहीं। प्रेम है भक्ति प्रेम है शक्ति,प्रेम से बड़ी को जात नहीं। कहते है पर माने ना,,इस सोच से सब मजबूर रहे। प्रेम का करना तिरस्कार,ये दुनिया का दस्तूर रहे। तेरी खुशीयों का मोल नहीं,इस दुनिया की नजरों में। प्रेम ही बस अपराध हुआ है,इस दुनिया के सज़रो में। प्रेम किया तो देंगे सजा ये,दे के सजा मगरुर रहे। प्रेम का करना तिरस्कार,ये दुनिया का दस्तूर रहे। चेहरा अपना ढक के हमको,अपना मान दिखाएंगे। अपना है बस कहने को जो,वो झूठा साथ निभाएंगे। तेरी खुशी से बढ़ उनको,तो बस चढ़ा गुरूर रहे। प्रेम का करना तिरस्कार,ये दुनिया का दस्तूर रहे। ©Anand S.....