है प्रलय मेरे वक्ष में बहुत दिनों से पल रहा
इसीलिये तो शान्त मैं पल प्रतिपल रहा
आगाज़ तो अगाध हो महा शुभा आरम्भ हो
विकास हो या विनाश हो जो भी प्रचण्ड हो
बूँद बूँद रक्त का अमर इतिहास लिख उठे
है शौर्य का आकाश क्या ये बाहु में ही दिख उठे #Popular#Hindi#Dark#poem#हिंदी#कविता#nojotohindi#bawraspoetry