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है प्रलय मेरे वक्ष में बहुत दिनों से पल रहा इसीलिय

है प्रलय मेरे वक्ष में बहुत दिनों से पल रहा
इसीलिये तो शान्त मैं पल प्रतिपल रहा

आगाज़ तो अगाध हो महा शुभा आरम्भ हो
विकास हो या विनाश हो जो भी प्रचण्ड हो

बूँद बूँद रक्त का अमर इतिहास लिख उठे
है शौर्य का आकाश क्या ये बाहु में ही दिख उठे

वार से प्रहार से सब विघ्न खण्ड खण्ड हो
विकराल महाशत्रु से रण महा प्रचण्ड हो

 सिर्फ एक गर्जना से मार्ग सब प्रशस्त हों
या तो अवरोध ध्वस्त हों या स्वयं को ध्वस्त हो

ना सिर्फ विजय की लालसा ना हार का  ही भय हो
अमरत्व आत्म बोध युक्त तुम महा अभेय हो

उठो कर्म के युद्ध को प्रमाद के विरुद्ध को
विशुद्ध शुद्ध रक्त दो चेतना के प्रबुद्ध को

या दैव का लेख हो या विधि का विधान हो
जो टालने से ना टले ऐसा ही संविधान हो

तो भी समर के लिये सिर्फ तुम्हीं उपर्युक्त हो
झाँक कर तो देख लो तुम सर्व गुणों से युक्त हो

©Brijendra Dubey 'Bawra, है प्रलय मेरे वक्ष में बहुत दिनों से पल रहा
इसीलिये तो शान्त मैं पल प्रतिपल रहा

आगाज़ तो अगाध हो महा शुभा आरम्भ हो
विकास हो या विनाश हो जो भी प्रचण्ड हो

बूँद बूँद रक्त का अमर इतिहास लिख उठे
है शौर्य का आकाश क्या ये बाहु में ही दिख उठे
है प्रलय मेरे वक्ष में बहुत दिनों से पल रहा
इसीलिये तो शान्त मैं पल प्रतिपल रहा

आगाज़ तो अगाध हो महा शुभा आरम्भ हो
विकास हो या विनाश हो जो भी प्रचण्ड हो

बूँद बूँद रक्त का अमर इतिहास लिख उठे
है शौर्य का आकाश क्या ये बाहु में ही दिख उठे

वार से प्रहार से सब विघ्न खण्ड खण्ड हो
विकराल महाशत्रु से रण महा प्रचण्ड हो

 सिर्फ एक गर्जना से मार्ग सब प्रशस्त हों
या तो अवरोध ध्वस्त हों या स्वयं को ध्वस्त हो

ना सिर्फ विजय की लालसा ना हार का  ही भय हो
अमरत्व आत्म बोध युक्त तुम महा अभेय हो

उठो कर्म के युद्ध को प्रमाद के विरुद्ध को
विशुद्ध शुद्ध रक्त दो चेतना के प्रबुद्ध को

या दैव का लेख हो या विधि का विधान हो
जो टालने से ना टले ऐसा ही संविधान हो

तो भी समर के लिये सिर्फ तुम्हीं उपर्युक्त हो
झाँक कर तो देख लो तुम सर्व गुणों से युक्त हो

©Brijendra Dubey 'Bawra, है प्रलय मेरे वक्ष में बहुत दिनों से पल रहा
इसीलिये तो शान्त मैं पल प्रतिपल रहा

आगाज़ तो अगाध हो महा शुभा आरम्भ हो
विकास हो या विनाश हो जो भी प्रचण्ड हो

बूँद बूँद रक्त का अमर इतिहास लिख उठे
है शौर्य का आकाश क्या ये बाहु में ही दिख उठे

है प्रलय मेरे वक्ष में बहुत दिनों से पल रहा इसीलिये तो शान्त मैं पल प्रतिपल रहा आगाज़ तो अगाध हो महा शुभा आरम्भ हो विकास हो या विनाश हो जो भी प्रचण्ड हो बूँद बूँद रक्त का अमर इतिहास लिख उठे है शौर्य का आकाश क्या ये बाहु में ही दिख उठे #Popular #Hindi #Dark #poem #हिंदी #कविता #nojotohindi #bawraspoetry