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एक पल था वो जब मुखरित हुईं थी नीरवता विस्मृत हुआ

एक पल था वो 
जब मुखरित हुईं थी नीरवता 
विस्मृत हुआ  जग सारा 
मेरा मै  पिघल गया था 
स्पंदित हुए थे  प्राण मेरे 
 तन मन रोमांचित हुआ था 
एक पल था वो....... 
बह नहीं पाएगी  रसधार जीवन मे 
अमरत्व को पाए बिना 
कुछ पाने की दौड़ मे 
जब मन मेरा  ठहरा नहीं था 
एक  पल  था वो एक  पल था वो
एक पल था वो 
जब मुखरित हुईं थी नीरवता 
विस्मृत हुआ  जग सारा 
मेरा मै  पिघल गया था 
स्पंदित हुए थे  प्राण मेरे 
 तन मन रोमांचित हुआ था 
एक पल था वो....... 
बह नहीं पाएगी  रसधार जीवन मे 
अमरत्व को पाए बिना 
कुछ पाने की दौड़ मे 
जब मन मेरा  ठहरा नहीं था 
एक  पल  था वो एक  पल था वो