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घन घोर बदरा , और मन की तरंग , बिजलियाँ सी कौंध चंच

घन घोर बदरा , और मन की तरंग , बिजलियाँ सी कौंध चंचल चित वन , 
प्रेम की
खुश्बू उठती , 
जैसे पड़ती
बूंद बूंद , माटी पे , 
लिए
इक सावन , 
साजन मन
कैसे समझें वो 
पिया मन
घन घोर बदरा , 
और मन की
तरंग घन घोर बदरा , और मन की
तरंग #neerajwrites घनघोर बदरा
घन घोर बदरा , और मन की तरंग , बिजलियाँ सी कौंध चंचल चित वन , 
प्रेम की
खुश्बू उठती , 
जैसे पड़ती
बूंद बूंद , माटी पे , 
लिए
इक सावन , 
साजन मन
कैसे समझें वो 
पिया मन
घन घोर बदरा , 
और मन की
तरंग घन घोर बदरा , और मन की
तरंग #neerajwrites घनघोर बदरा