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यह कैसा नव वर्ष__ अकड़े, जकड़े, ठिठुरे, सहमे, दुब

यह कैसा नव वर्ष__

अकड़े, जकड़े, ठिठुरे, सहमे,
दुबके बैठे लोग यहां।
शीतलहर से ब्यथित प्रकृति भी,
थर_थर कापे सकल जहां।।
रातें सर्द, कुहासा दिन मे,
कहां _कहीं उत्कर्ष हुआ ?
सोचो मेरे देश वासियों,
यह कैसा नव वर्ष हुआ।।
ठहरो, कुछ दिन करो प्रतीक्षा,
घड़ी शीघ्र वह आयेगी।
अवनी,अंबर पुलकित होंगे,
मस्त पवन मुसकाएगी।।
मौसम बड़ा सुहाना होगा,
प्रकृति दुल्हन बन जाएगी।
गांव, नगर, खलियान, खेत में,
नई रवानी छाएगी।।
नई तरंगे, नई नई उमंगे,
नव रस_तान, सुनाएंगी।
नई कपोले, नई बहारे,
नूतन साज सजाएंगी।।
रंग बसंती चढ़े दिलो में,
फाग कबीरा गाएगा।
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा दिवस से,
नया वर्ष लग जाएगा।।
     .....☺️.....✍️

©Navin Happy new year. #2021

#2021 #New
यह कैसा नव वर्ष__

अकड़े, जकड़े, ठिठुरे, सहमे,
दुबके बैठे लोग यहां।
शीतलहर से ब्यथित प्रकृति भी,
थर_थर कापे सकल जहां।।
रातें सर्द, कुहासा दिन मे,
कहां _कहीं उत्कर्ष हुआ ?
सोचो मेरे देश वासियों,
यह कैसा नव वर्ष हुआ।।
ठहरो, कुछ दिन करो प्रतीक्षा,
घड़ी शीघ्र वह आयेगी।
अवनी,अंबर पुलकित होंगे,
मस्त पवन मुसकाएगी।।
मौसम बड़ा सुहाना होगा,
प्रकृति दुल्हन बन जाएगी।
गांव, नगर, खलियान, खेत में,
नई रवानी छाएगी।।
नई तरंगे, नई नई उमंगे,
नव रस_तान, सुनाएंगी।
नई कपोले, नई बहारे,
नूतन साज सजाएंगी।।
रंग बसंती चढ़े दिलो में,
फाग कबीरा गाएगा।
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा दिवस से,
नया वर्ष लग जाएगा।।
     .....☺️.....✍️

©Navin Happy new year. #2021

#2021 #New
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Navin

New Creator

Happy new year. 2021 2021 #New #poem