वो सांवली सी लड़की अपनी ललाट के बीचो बीच एक छोटी सी काली बिंदी लगाती है आँखों मे अजीब सी चमक लिए रोज मेरे घर के सामने की सड़क से गुजर जाती है पता नहीं आखिर क्यों वो मुझे देख कर अपने खुले केशो को जोर से झटका जाती है कभी कभी तो अपने साईकिल की घन्टी जोर -जोर से बजा कर मेरे शांत मन मे जलजला ही ला देती है आखिर क्यों वो मुझे कभी देख कर अनदेखा तो कभी देख कर मुस्कुरा देती है ये सिलसिला उसका अब रोज-रोज का हो चला है क्या वो पागल तो नहीं है या मुझे पागल करने चली है अजीब सा कुछ उसने कर दिया है उसके जाने और आने का अलार्म मैंने आखिर क्यों अपने मोबाइल में लगा लिया है उसका मुझे देख कर मुस्कुराना अब मुझसे मेरी नींद चुरा रहा है उसका रोज-रोज मिलना मुझे अब जरूरी सा लगने लगा है उसकी चमकती नाक की बूंदी में जाने क्यों ये मन खोने लगा है उसके एक भी दिन न गुजरने पर दिल मेरा कुछ बेचैन सा रहने लगा है पता नही क्या कर दिया है उस साँवली सी लड़की ने----अभिषेक राजहंस वो साँवली सी लड़की #NojotoHindi