" रोता हूं तो भूल नहीं पता हू , ज़िन्दगी के गुजारे लम्हे वसुल नहीं पता हू , कसक रह जाती है अब भी साथ पाने की , तेरी खुशी के लिए लम्हा जस का तस छोड़ देता हूं ." --- रबिन्द्र राम " रोता हूं तो भूल नहीं पता हू , ज़िन्दगी के गुजारे लम्हे वसुल नहीं पता हू , कसक रह जाती है अब भी साथ पाने की , तेरी खुशी के लिए लम्हा जस का तस छोड़ देता हूं ." --- रबिन्द्र राम #भूल #ज़िन्दगी #गुजारे #लम्हे #वसुल