चांद कही खोया सा कल रात बहुत रोई थी सिसकते रहे रात सितारे कल रात नही सोई थी, रतजगी आंखों में पीड़ा उच्छवासों की धुंध लिए, नील व्योम में अश्र गिरा चली गई एक प्यास लिए, दीपक भी तिलतिल जल वातायन से मेरे राह देखता शांत समीरण भी उद्धेलित सा दूर क्षितिज तट रहा निहारता, स्वप्न आए पलकों को छू कर वापस लौट गए थे निष्ठुर प्रियतम मेरी तरह क्या चांद को भी कल बहुत याद आए थे ? #यादें #आज #नाम #yourquote #yourquotedidi #collabwithme #imagesourcegoogle