ऐक दिन रोओगे बहुत एक दिन पछताओगे बहुत एक दिन आँखों मे सिर्फ टूटे हुए इंद्रधनुष होंगे बिखरे सपने और आंसुओं क़े झरने होंगे. तब तुम कर कुछ न पाओगे क्योंकि वक़्त चुक गया होगा हाथों से रेत की तरह फिसल गया होगा परपंच तुमने किये बहुत उत्पात करते रहे बहुत उसका फल अब पश्चाताप बन क्रर रह गया है केवल.. क्योंकि अब तुम्हारे हाथ खाली है जीवन बासा है सुप्त है और अब रिक्तता तुम्हे सालती है पीड़ा देती है विषाद से तुम्हे भर देती है ©Parasram Arora विषाद