मेरी जां..! मेरे हर गुजरते दिन की शाम तुम ही तो हो..! तुझमें ही तो आकर खत्म होती हैं मेरे हर दिन की जद्दोजहद...! हमारी तो हर रात ठहरी है एक दूजे की पलकों तले, चाहो तो मूंद कर अपनी पलकें बिठा लो मुझे अपने जुल्फों की घनी काली रात में..! जानाँ ! तुम्हारी हर झपकती पलक पर मिलती है मेरी रूह को तेरी एक झलक..! तेरे ही अंतर्मन में बसा हूं मैं, तेरे हृदय तल पर मेरी रोशनी से बनता वो रोशन क्षितिज, जो ओत प्रोत करता है मेरे हर कण को...!! जानां, हर रात मेरे दिल पे पड़ी एक एक सिलवट बस तेरे ही नाम से तो रोशन है, बस जरूरत है तुम्हारे उसे छूकर उनमें समा जाने की... और होगा हमारा मिलन हमारी मन में व्याप्त विरह रात्रि की समाप्ति पर...!! #कब_आओगे_तुम 4 #जानाँ #रात #इंतजार #शाम #YourQuoteAndMine Collaborating with Varsha Sharma