बस तुम राते समेत देना दिन मैं गुज़ार लेता हूं तुम थाम लेना हाथ मेरा जब भी मैं हार जाता हूँ। तुम पढ़ लेना खामोशी मेरी जब भी मुझे चुप पाना, तुम देख लेंना उन आंसुओ को जब भी मैं मुस्कुराता हूँ।। तुम बन जाना हमसफर मेरी जब भी मै मुसाफिर दिखूं, तुम कसम दे देना उस रब की जब भी मैं काफिर दिखूं। तुम मेरी ज़िन्दगी में कोई उम्मीद की किरण बस ला देना, दिन तो मैं गुज़ार लेता हूँ राते तुम समेट देना।।