नोजोटो पर अपनी पहचान जानता हूँ
बारीक सा है मैं नमक सा हूं
जितनी मेरी कीमत कम है,मेरा उपयोग उतना कम हैं।
मैं खो ना दूं अस्तित्व अपना,बस इसी बात का गम है।
मैं पानी बनूं,या बिखरूं जमीन पर,कब मुझे संभाला है।
आ जाए खाने में स्वाद,बस ये सोच ही मुझे डाला है। #poem#AugustCreator#AzaadKalakaar#MyJourneyWithNojoto