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धड़कन थम गई थी... आंखें जम गई थी.. देखा जब उसको चो

धड़कन थम गई थी... आंखें जम गई थी..
देखा जब उसको चोर नजर से मुझे ही तकते हुए...
आंखो में उसके गहराई...होंठो पर शरारत भरी मुस्कान थी आई...
क्या वो मंजर था...क्या वो सफर....
जिसमे शायद रुक जाना चाहता था वो भी और मै भी..
मेट्रो में वो आमने सामने की सीट... जिससे ना वो उठना  चाहता था ना ही मै...
मगर हो जाना था जुदा हमें...शायद फिर से मिलने को..
थी मजबूरी पहले मेरे जाने की...बेचैनी थी या शायद  गलतफहमी मेरी...तड़प थी आई उसके चेहरे पर भी...ये पहली नजर का प्यार था या कुछ और...पर था वो लम्हा बड़ा ही मदहोश... मिलेंगे हम कभी दोबारा...गर था वो सफर सिर्फ हमारा...


...माही... #Love #pehlapyar #shayari #poem Mera likha kuch
धड़कन थम गई थी... आंखें जम गई थी..
देखा जब उसको चोर नजर से मुझे ही तकते हुए...
आंखो में उसके गहराई...होंठो पर शरारत भरी मुस्कान थी आई...
क्या वो मंजर था...क्या वो सफर....
जिसमे शायद रुक जाना चाहता था वो भी और मै भी..
मेट्रो में वो आमने सामने की सीट... जिससे ना वो उठना  चाहता था ना ही मै...
मगर हो जाना था जुदा हमें...शायद फिर से मिलने को..
धड़कन थम गई थी... आंखें जम गई थी..
देखा जब उसको चोर नजर से मुझे ही तकते हुए...
आंखो में उसके गहराई...होंठो पर शरारत भरी मुस्कान थी आई...
क्या वो मंजर था...क्या वो सफर....
जिसमे शायद रुक जाना चाहता था वो भी और मै भी..
मेट्रो में वो आमने सामने की सीट... जिससे ना वो उठना  चाहता था ना ही मै...
मगर हो जाना था जुदा हमें...शायद फिर से मिलने को..
थी मजबूरी पहले मेरे जाने की...बेचैनी थी या शायद  गलतफहमी मेरी...तड़प थी आई उसके चेहरे पर भी...ये पहली नजर का प्यार था या कुछ और...पर था वो लम्हा बड़ा ही मदहोश... मिलेंगे हम कभी दोबारा...गर था वो सफर सिर्फ हमारा...


...माही... #Love #pehlapyar #shayari #poem Mera likha kuch
धड़कन थम गई थी... आंखें जम गई थी..
देखा जब उसको चोर नजर से मुझे ही तकते हुए...
आंखो में उसके गहराई...होंठो पर शरारत भरी मुस्कान थी आई...
क्या वो मंजर था...क्या वो सफर....
जिसमे शायद रुक जाना चाहता था वो भी और मै भी..
मेट्रो में वो आमने सामने की सीट... जिससे ना वो उठना  चाहता था ना ही मै...
मगर हो जाना था जुदा हमें...शायद फिर से मिलने को..
mahikashyap6191

Mahi Kashyap

New Creator

#Love #pehlapyar #Shayari #poem Mera likha kuch धड़कन थम गई थी... आंखें जम गई थी.. देखा जब उसको चोर नजर से मुझे ही तकते हुए... आंखो में उसके गहराई...होंठो पर शरारत भरी मुस्कान थी आई... क्या वो मंजर था...क्या वो सफर.... जिसमे शायद रुक जाना चाहता था वो भी और मै भी.. मेट्रो में वो आमने सामने की सीट... जिससे ना वो उठना चाहता था ना ही मै... मगर हो जाना था जुदा हमें...शायद फिर से मिलने को..