तू है कि हर बार अधूरी रह जाती है... जब कोई नयी कविता लिखता हूँ तेरे लिये तो ख्वाहिश होती है कि सबसे पहले पढ़े तू । आये पसंद तो करे तारीफ़ , अगर चुभें शब्द तो लड़े तू । मेरी हर एक कविता में तुझे समेटना चाहता हूँ, तू है कि हर बार अधूरी रह जाती है । सच कहूँ तो ये अधूरापन ही तुझसे जोड़े हुए है , तू बिन कहे बहुत कुछ कह जाती है । पता नहीं किस जन्म का रिश्ता है तुझसे , दिल दुखता है बहुत जब मुझसे उखड़े तू । जब कोई नयी कविता लिखता हूँ तेरे लिये तो ख्वाहिश होती है कि सबसे पहले पढ़े तू । ©Ravindra Singh तू है कि हर बार अधूरी रह जाती है... जब कोई नयी कविता लिखता हूँ तेरे लिये तो ख्वाहिश होती है कि सबसे पहले पढ़े तू । आये पसंद तो करे तारीफ़ , अगर चुभें शब्द तो लड़े तू ।