//(बेदार जागृत, सचेत)// शब-ए-रोज-ए-चश्म बेदार तेरे आने को है, उल्फ़त-ए-इश्क़ से वो बेखबर जमाने को हैं। शिकवां-ए-बुताँ क्या करे दिल्लगी में दिल दिया है? अब ये बर्बादी का ज़श्न मिला शोहरत में मुझ को हैं। #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #बेदार #yqbaba #yqdidi #love #प्रेम