पर्दे में लेके, नूर ए रुख़्सार, बैठा था वो, दामन में दर्द छुपाए हज़ार, बैठा था वो। ना होंठों पे मुस्कान ना चेहरे पे शिकन, जाने कितना किए इंतज़ार, बैठा था वो! मैं घायल ना होता, गर रुबरु ना होता, पल्कों के नीचे ले हथियार, बैठा था वो। जिस बाज़ार गया खरीदारी के लिए मैं, मुझ ही को खरीदने तय्यार, बैठा था वो। #ghazal #gazal #gajal #shayari #rukhsaar