ज़िन्दगी जीना दुश्वार हुआ, यह सोच दिल परेशां हुआ कैसे ओढ़ लेते है, मतलबी चोला यह लोग की ऐतबार-ए-विश्वास का टूटना फिर लाज़मी हुआ। मतलबी...! #ज़िन्दगी जीना #दुश्वार हुआ, यह सोच #दिल #परेशां हुआ कैसे #ओढ़ लेते है, #मतलबी चोला यह लोग की #ऐतबार-ए-#विश्वास का #टूटना फिर #लाज़मी हुआ। #khnazim