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अमृत महोत्सव मनाये.... आओ अमृत महोत्सव मनाये घर घ

अमृत महोत्सव मनाये....

आओ अमृत महोत्सव मनाये घर घर तिरंगा शान से लहराये,,
मृत्यु का किया कितने वीरो ने वरण जन जन को ये बतलाये,,

कुछ हस्ते हस्ते चढ़े फांसी पर, कई युद्ध के मैदान मे गए  मर,
देश मे भर  क्रांति  की  ज्वाला कई वीर हुए आज़ अजर अमर,,

जो मंगल पांडे विद्रोह  ना  करते, युही गुलामी की जंजीरो मे सड़ते,
मेरठ छावनी से भड़कते ना शोले गुलामी मे यु ही सड़ सड़ हम मरते,,

सन सत्तावन को कैसे हम  भूले, वही से आजादी के स्वप्न थे फुले,
झांसी की रानी उतर पड़ी रण मे, दामोदर देखो रण मे पीठ पे झूले,,

बजा बिगुल तब ही  आजादी  का, बजा बिगुल गोरो की  बर्बादी  का,
वीर थे ऐसे मृत्यु के नाम की रचाई मेहंदी, स्वप्न छोड़ अपनी शादी का,,

सरदार  उधम  सिंह  वीर  थे  बड़े, सांडर्स  को  निपटाया  खडे  खडे,
घर मे घुस कर ऐसी वीरता दिखाई, सारे अंग्रेज नजर आये फिर डरे डरे,,

अंग्रेज जिसके नाम से थर थर कापे, गोलिया उसकी गोरो की मृत्यु  नापे,
आजादी का मतवाला वो आजाद था, मृत्यु के आगोश मे भी अंग्रेज कापे,,

ह्रदय मे उठाकर आजादी के शोले, हस्ते हस्ते फांसी के फंदे पर थे झूले,
राजगुरु, सुखदेव, भगत सिंह थे वे जिनकी राष्ट्र भक्ति फिजाओ मे घुले,,

स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार, यही एक मंत्र था यही एक विचार,
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक वह, जन जन मे भरा स्वराज का ज्वार,,

आजादी का परचम लहराया वीरो ने, बहुत घाव दिए शत्रु  की  शमशीरो ने,
कभी डिगे नहीं शान से लहराया तिरंगा, बहुत गर्व के पल दिए देश के हीरो ने,,,

तिरंगा जो हर घर शान से  लहराएगा, वीरो की गौरव गाथा नभ को सुनाएगा,
धरती से लेकर नभ तक तिरंगा दिखे, पूरा विश्व तिरंगे के रंग मे रंग जाएगा...

✍️नितिन कुवादे....

©Nitin Kuvade #amritmahotsav
अमृत महोत्सव मनाये....

आओ अमृत महोत्सव मनाये घर घर तिरंगा शान से लहराये,,
मृत्यु का किया कितने वीरो ने वरण जन जन को ये बतलाये,,

कुछ हस्ते हस्ते चढ़े फांसी पर, कई युद्ध के मैदान मे गए  मर,
देश मे भर  क्रांति  की  ज्वाला कई वीर हुए आज़ अजर अमर,,

जो मंगल पांडे विद्रोह  ना  करते, युही गुलामी की जंजीरो मे सड़ते,
मेरठ छावनी से भड़कते ना शोले गुलामी मे यु ही सड़ सड़ हम मरते,,

सन सत्तावन को कैसे हम  भूले, वही से आजादी के स्वप्न थे फुले,
झांसी की रानी उतर पड़ी रण मे, दामोदर देखो रण मे पीठ पे झूले,,

बजा बिगुल तब ही  आजादी  का, बजा बिगुल गोरो की  बर्बादी  का,
वीर थे ऐसे मृत्यु के नाम की रचाई मेहंदी, स्वप्न छोड़ अपनी शादी का,,

सरदार  उधम  सिंह  वीर  थे  बड़े, सांडर्स  को  निपटाया  खडे  खडे,
घर मे घुस कर ऐसी वीरता दिखाई, सारे अंग्रेज नजर आये फिर डरे डरे,,

अंग्रेज जिसके नाम से थर थर कापे, गोलिया उसकी गोरो की मृत्यु  नापे,
आजादी का मतवाला वो आजाद था, मृत्यु के आगोश मे भी अंग्रेज कापे,,

ह्रदय मे उठाकर आजादी के शोले, हस्ते हस्ते फांसी के फंदे पर थे झूले,
राजगुरु, सुखदेव, भगत सिंह थे वे जिनकी राष्ट्र भक्ति फिजाओ मे घुले,,

स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार, यही एक मंत्र था यही एक विचार,
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक वह, जन जन मे भरा स्वराज का ज्वार,,

आजादी का परचम लहराया वीरो ने, बहुत घाव दिए शत्रु  की  शमशीरो ने,
कभी डिगे नहीं शान से लहराया तिरंगा, बहुत गर्व के पल दिए देश के हीरो ने,,,

तिरंगा जो हर घर शान से  लहराएगा, वीरो की गौरव गाथा नभ को सुनाएगा,
धरती से लेकर नभ तक तिरंगा दिखे, पूरा विश्व तिरंगे के रंग मे रंग जाएगा...

✍️नितिन कुवादे....

©Nitin Kuvade #amritmahotsav
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Nitin Kuvade

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