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जितनी बार भी बाँधे पुल सपनों के , एक पल में चकनाचू

जितनी बार भी बाँधे पुल सपनों के ,
एक पल में चकनाचूर हुए,
बचाने   रिश्तों  का  गहन समन्दर ,
हम अपने  हर सपनें से दूर हुए,
क़दमों को पँख ना दे पाए ,
बस चलते रहे सिसक सिसक कर,
ज़माने की रवायतों से डरकर ,ना जाने क्यूँ मजबूर हुए,
आहों में दिन गुज़रते थे,और सिसकियों के साथ रात आती,
सारेे अरमान-ओ-ख़्वाब ज़िन्दगी के,
रंज-ओ-गम से चूर हुए ,
वक़्त ने करवट बदली और मुरझाए सपनें फ़िर मुस्कुराए,
एक उम्मीद और विश्वास  से ,मेरे सपनें फ़िर मगरूर हुए,
वो पुल सपनों का अब हमें पार करना था,
जब ख़्वाबों ने भरी उड़ान ,तो मेरे डर  सारे काफ़ूर हुए,
मालूम नही था ,मिलेगा एक ऐसा आसमान भी,
इस लम्हे को जीकर ,मेरे सपने कोहिनूर हुए।।
-पूनम आत्रेय

©poonam atrey
  #सपनोंकेपुल  वंदना .... Lalit Saxena Mili Saha Banarasi.. Mahi  Navash2411 Rajesh Arora Kamlesh Kandpal अदनासा- Raj Guru  Praveen Jain "पल्लव" Ranjit Kumar परिंदा Saloni Khanna AD Grk  Noor Hindustanai खामोशी और दस्तक shashi kala mahto एक अजनबी "ARSH"ارشد  Kirti Pandey Sunita Pathania Sethi Ji Utkrisht Kalakaari Sana naaz.  Richa Mishra भारत सोनी _इलेक्ट्रिशियन Ashutosh Mishra प्रज्ञा Gyanendra Pandey  doctor vishal Kumar Dikesh Kanani (Vvipdikesh) Aditya kumar prasad HINDI SAHITYA SAGAR पथिक..  Madhusudan Shrivastava Payal Das GULSHAN KUMAR ram singh yadav Deep  शीतल चौधरी(मेरे शब्द संकलन ) ANIL KUMAR,) nishi_bhatnagarr दिनेश कुशभुवनपुरी हिमांशु Kulshreshtha