आज कल ना मिली, उम्र भर ना मिली.. जो आसमां का शौक था, जमीं ना मिली.. बिताते रहे हमेशा, जिसे जिंदगी समझ के.. उस किसी एक पल मे, जिंदगी ना मिली.. मिलते रहे ना जाने, हम रोज ही कितनों से.. पर किसी एक से भी, तबियत ही ना मिली.. बहुत गुमान किया हमने, अमीरी पे हमारी.. सब कुछ लुटा के पल की, खुशी ना मिली.. रहा था शौक हमको, जमाने को झुकाने का.. कितने ही सर झुके पर, ख़ुश-दिली ना मिली.. सुना था कि सभी को, मिल जाती है मोहब्बत.. हो गए हम इतने ऊंचे, कोई नजर ही ना मिली.. आज कल ना मिली, उम्र भर ना मिली.. जो आसमां का शौक था, जमीं ना मिली..।।। ©Akkhil #Love #Life #Poet #Poetry #world #Money #Happiness #Pain #sorrow #अखिल