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कश्ती ले के खड़ा अकेला भँवर मे हूँ ऐ जिन्दगी बता

कश्ती ले के खड़ा  अकेला भँवर मे हूँ
ऐ जिन्दगी बता किस शहर मे हूँ।
घूरता हर शख्स है ऐसे क्यों भला
मै घर में भी सबकी नजर में हूँ।
उम्मीद है छू लूँगा,ऐ आसमाँ तुझे
लोगों का अदब कहता है,असर मे हूँ।
                        -विकास कुमार Adab
कश्ती ले के खड़ा  अकेला भँवर मे हूँ
ऐ जिन्दगी बता किस शहर मे हूँ।
घूरता हर शख्स है ऐसे क्यों भला
मै घर में भी सबकी नजर में हूँ।
उम्मीद है छू लूँगा,ऐ आसमाँ तुझे
लोगों का अदब कहता है,असर मे हूँ।
                        -विकास कुमार Adab

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